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Wednesday, December 6, 2023

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✍️अमित पाठक शाकद्वीपी 
साहित्य संगम बुक्स

Tuesday, March 28, 2023

मै नारी हूं – कमल पटेल जी

मैं नारी हूं।,
मैं पूरे घर की जिम्मेदारी हूं।
सबको शिकायत होती है मुझसे,
फिर भी लगती सबको प्यारी हूं
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (१) ।।

सावित्री सी सतवंती हूं मैं,
लोपामुद्रा सी विदुषी हूं मैं,
हाड़ीरानी सी बलिदानी हूं,
यदि लक्ष्मीबाई बन जाऊं,
तो मैं क्रांति की चिंगारी हूं ,
मैं नारी हूं,पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (२) ।।

दो कुलो की मर्यादा हूं मैं,
हरती सबकी बाधा हूं मै,
वेद पुराणों मे सम्मान मिला
अन्नपूर्णा का मुझे मान मिला
थोड़े अपवादो के कारण,
 स्वयं की प्रतिष्ठा हारी हूं।।
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (३) ।।

आठों प्रहर सेवा हूं करती,
कभी पत्नी ,कभी मां हूं बनती,
घर ,दफ्तर, खेत, खलिहान,
हर जगह है, मेरे निशान
परिवार की खुशियों की खातिर,
घरबार पर जाऊं, बलिहारी हूं , 
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं
सबको शिकायत होती है मुझसे,
फिर भी लगती सबको प्यारी हूं ।। (४) ।।
                     – कमल पटेल 

Monday, March 27, 2023

स्त्री : एक परिचय – मेघा शर्मा (मेरी गुल्लक शब्दों का संग्रह)

हे स्त्री तू एक पृष्ठ नहीं, है इस जग की संपूर्ण कहानी,
तू लगे सिया शकुंतला राधा, कभी द्रौपदी गौरा कामिनी।

है सौंदर्य शोभा प्रेम स्वरूपा, है तू ही शक्ति स्वामिनी,
पुरुषत्व की पूर्णता का सार, तू बनी उसकी अर्धांगिनी।

हृदयरूपी सरोवर में तेरे, खिले ख्वाबों की कमलिनी,
गुलाबी पंखुड़ी से होठो में, तू लगती है फूल मालिनी।

काली मेघ-सी खुली जुल्फें तेरी , लगे निशा में चांदनी,
झील-सी नील समान आंखों में, लगे तू जैसे मृगनयनी।

बाली बना सूरज चंदा को, तेरी चमक फैलाएं रोशनी ,
रूढ़ियों को बांध आंचल में, तू निकल पड़े पथ गामिनी।

सहनशीलता की मूरत है, तू व्यवहार में लगे शालिनी,
जीवन राग की धुन में मगन, तू गुनगुनाए बन रागिनी।

असीम सागर में लीन तेरा प्रवाह , अमर हो मंदाकिनी,
बिंदी,कुमकुम सोलह श्रृंगार तुझपे सजे सौदामिनी।

नई पीढ़ी की सृजनकर्ता हैं , तू ही दुर्गा मां जगतजननी,
निर्मल गंगा सा बदन, सितारों की चूनर में लगे महारानी।

पूरक हैं जग में तेरी आकृति और ये प्रकृति की कहानी,
स्तब्ध है अब तेरे‌ अस्तित्व के बखान में मेरी लेखनी की जुबानी। 

- [मेरी गुल्लक 'शब्दों का संग्रह']
- कु.मेघा शर्मा

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