नारी से रिश्ते सजे नारी से परिवार
नारी हमारे परिवार की है जान
नारी हमारे समाज की आन-शान-बान
नारी भाइयों की है मुस्कान
माँ की वो दुलारी दिल से है नादान
घर में जो मिले उचित सम्मान
समझ लो वो स्थान है स्वर्ग-समान
नारी करती है सब पर जान कुर्बान
तभी तो हर नारी है त्याग की पहचान
नारी के कदमो में बसी हुई है एक जन्नत
हाँ मुझे गर्व है मैं हूँ नारी , सृजनात्मकता की पहचान
अपने हौसले से तकदीर को बदल दे
वो शक्ति है एक नारी
– ज्योति जितेन्द्र जैन
No comments:
Post a Comment