तुम शक्ति हो,श्रद्धा हो
तुम भक्ति हो पूजा हो
तुम ज्योति तुम ही ज्वाला
तुम कणिका तुम ही विशाला
तुम कोमलता मातृ रूप में
तुम ही अनुशासन की दृढ़ता
तुम से व्यवस्था तुम ही समस्या
तुम ही समस्या का समाधान हो
तो तुम ही ज्ञान विज्ञान हो
तुम ही आवश्यकता तुम ही आविष्कार हो
तुम चंचलता चपलता हो
गृहस्थी की तपस्या में रत तपस्विनी
तुम संगिनी तुम वंदिनी
सीमाओं में बँधी तुम
सीमंतिनी
– सरिता सोनी जी
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