मैं पूरे घर की जिम्मेदारी हूं।
सबको शिकायत होती है मुझसे,
फिर भी लगती सबको प्यारी हूं
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (१) ।।
सावित्री सी सतवंती हूं मैं,
लोपामुद्रा सी विदुषी हूं मैं,
हाड़ीरानी सी बलिदानी हूं,
यदि लक्ष्मीबाई बन जाऊं,
तो मैं क्रांति की चिंगारी हूं ,
मैं नारी हूं,पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (२) ।।
दो कुलो की मर्यादा हूं मैं,
हरती सबकी बाधा हूं मै,
वेद पुराणों मे सम्मान मिला
अन्नपूर्णा का मुझे मान मिला
थोड़े अपवादो के कारण,
स्वयं की प्रतिष्ठा हारी हूं।।
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं ।। (३) ।।
आठों प्रहर सेवा हूं करती,
कभी पत्नी ,कभी मां हूं बनती,
घर ,दफ्तर, खेत, खलिहान,
हर जगह है, मेरे निशान
परिवार की खुशियों की खातिर,
घरबार पर जाऊं, बलिहारी हूं ,
मैं नारी हूं, पूरे घर की जिम्मेदारी हूं
सबको शिकायत होती है मुझसे,
फिर भी लगती सबको प्यारी हूं ।। (४) ।।
– कमल पटेल
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