पर कभी नारीत्व ना जाना ।।
नारी चाहे तो घर को स्वर्ग बना दे।
चाहे तो क्षण भर में घर को नर्क बना दे
सब कहते है नारी अपने रूप बदली है।
अरे मुसीबत में वही "नारी" दुर्गा बन जाती है।
इतना ही नहीं देवी बनकर पूज्यनीय हो जाती
सम्मान , सत्कार, उच्च पद पाकर
सदा अपना कर्त्तव्य निभाती
नारी के सतीत्व को सबने जाना है
अग्नि भी शांत हो जलमग्न हो जाती है
नारी महान तांडव नृत्य दिखाती
पल भर में निर्मोही को मोही बनाती
नारी शक्ति स्वरूपा बन हर रूप को बखूबी निभाती
मुसीबत में आंचल बिछा , सबका रक्षा कवच बन जाती
सच में नारी तू नारायणी बन धरती को स्वर्ग बनाती
– शीला गोदरे
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