Monday, March 13, 2023

नारी – श्याम चौहान

रही चौखट पर मौन
लज्जा का घुंघट ढोए
चारदीवारी मे कैद 
संस्कारों की चादर ओढ़े 

चूभती रही शक की सूई
लगते रहे ताने पर ताने 
मर्यादा की पकड़ बेड़ियां
रह गई घर की घर में

विरोध रहा सदा वर्जित
जलती तमन्नाओं की होली
सहा , सहनशील थी
लड़ती रही जज्बातो से

बदला दृष्टिकोण
शिक्षा का प्रसार हुआ
अबला से सबला नारी
नारी को पहचाना सभी ने
           – श्याम  चौहान 

No comments:

Post a Comment