Tuesday, March 14, 2023

सृष्टि – सुचित्रा श्रीवास्तव

तेरा जवाब नहीं तू तो लाजवाब है
विधाता की सृष्टि सरल तू सुनहरा ख़्वाब है,

ये धरती है वो नीला अम्बर है,
कहीं ऊंचे पर्वत तो कहीं गहरा सागर है,

सूरज की किरणों में तू ही आफताब है....
तेरा जवाब नहीं तू तो लाजवाब है।

रंगीन फूल हैं मुस्कुराती कलियां हैं,
इठलाती तितलियां, भौरों की रंगरलियां हैं,

जिधर देखो उधर तेरा हुस्न बेहिसाब है,
तेरा जवाब नहीं तू तो लाजवाब है।

आती जाती ऋतुएं हैं, हवाओं में खुशबू है,
मदमाती रातें हैं, खिलखिलाती सुबह है ,

ज़मीं से फ़लक तक तू ही महताब है,
तेरा जवाब नहीं तू तो लाजवाब है।

लहराती नदियों ने आज फिर पुकारा है,
लहलहाती फसलों ने दामन पसारा है,

प्रकृति का इशारा है , 
ये जहां हमारा है,

सब चाहें पढ़ना तुम्हें, ऐसी तू किताब है,
तेरा जवाब नहीं तू तो लाजवाब है।
                          – सुचित्रा श्रीवास्तव

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